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मेरे स्वप्नों में फिर आ जा तेरे गीत लिखूँ / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
मेरे सपनों में फिर आजा तेरे गीत लिखूँ॥
सदियों से गतिमान रहे पग
अब तो बहुत चले,
सबको छले अँधेरा लेकिन
मुझको दीप छले।
इंद्रधनुष के रंग पपीहा सुर संगीत लिखूँ।
मेरे सपनों में फिर आजा तेरे गीत लिखूँ॥
बेला जुही चमेली चंपा
से कर लूँ फिर बात,
भोर कटे दिन राजा के संग
रजनीगंधा रात।
रोये हँसे सावनी वर्षा जैसी प्रीत लिखूँ।
मेरे सपनों में फिर आजा तेरे गीत लिखूँ॥
अंबर कोरा कागज जैसा
धरती की ले गन्ध,
धड़कन की लेखनी हाथ ले
लिखती रहूँ अमन्द।
आमंत्रण मिस बहे चाँदनी मेरे मीत लिखूँ।
मेरे सपनों में फिर आजा तेरे गीत लिखूँ॥