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मेरे हाफ़िज़े मेरा साथ दे / शहरयार
Kavita Kosh से
किसी एक छत की मुंडेर पर
मुझे तक रहा है जो देर से
मेरे हाफ़िज़े मेरा साथ दे
ये जो धुन्ध-सी है ज़रा, हटा
कोई उसका मुझको सुराग़ दे
कि मैं उसको नाम से दूँ सदा।