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मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ / इरफ़ान सिद्दीकी
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मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ
दश्त से दूर भी क्या रंग दिखाता है जुनूँ
देखना है तो किसी शहर में दाखिल हो जाओ
जिस पे होता ही नहीं खूने-दो-आलम साबित
बढ़ के इक दिन उसी गर्दन में हमाइल हो जाओ
वो सितमगर तुम्हे तस्ख़ीर किया चाहता है
ख़ाक बन जाओ और उस शख्स को हासिल हो जाओ
इश्क़ क्या कारे-हवस भी कोई आसान नहीं
खैर से पहले इसी काम के क़ाबिल हो जाओ
मैं हूँ या मौजे-फना, और यहाँ कोई नहीं
तुम अगर हो तो ज़रा राह में हाइल हो जाओ
अभी पैकर ही जला है तो ये आलम है मियाँ
आग ये रूह में लग जाए तो कामिल हो जाओ