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मेरे हो / हेमा पाण्डेय
Kavita Kosh से
मेरे ख़्वाब की
ताबीर हो तुम
मेरे लिए एक जागीर हो तुम
तुम्हें पाने की
तमन्ना की थी मैंने
इसी हकीक़त के
तलबगार हो तुम
इतनी इनायत
करते रहना
मेरे हम सफर
मेरे हम राज हो तुम
हर राज तुमसे
बयाँ किया है मैंने
एक राजदार
भी हो तुम
विश्वास को विश्वास
में बदलने वाले
यही बिश्वास हो तुम
कभी ये सफर
न रुकने पाये
इसी लिए इस सफर में
हमराज हो तुम