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मेरौ पूनौ जैसो चंद बना जग कौ उजियारो रे / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
(बारात प्रस्थान के दिन दूल्हे की पूरी वेश-भूषा में लड़के का गाँव में घूमना)
मेरौ पूनौ जैसो चंद बना जग कौ उजियारो रे।
बना की सासो ने दै राखौ माथे कौं सैरो।
बाँधो बाँधो रे हजारी बनरा क्या छवि सोहै रे।
मेरौ पूनो जैसो चंद बना जग कौ उजियारो रे।
मेरौ सब भैयन सरदार बना कौ क्या छवि सोहै रे।
मेरौ पूनौ जैसो चंद बना जग कौ उजियारो रे।