मेले में स्टाल / भारतेन्दु मिश्र
प्रगति मैदान में जमे थे हम
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में
विभाग ने लगाई थी
समावेशी शिक्षा की स्टॉल
सजाई थी बहुविध
रात दिन एक करके
बैनरों और पोस्टरों
के साथ दिव्यांग बच्चों की दुनिया
बाजार भर के सामने
रखी गयी थीं सच्ची कहानियाँ
लोग देखने आते थे ब्रेल बुक्स
फिर अंगुलियाँ फिराते थे
चकित होकर किताबों पर
आँखें मूँदकर पढ़ने की कोशिश करते थे
सामान्य बच्चे
लेकिन समझ नहीं पाते थे एक भी शब्द
फिर पूछते थे
समावेशी योजना के बारे में
नई जानकारी से
अवगत होते थे लोग
बहुत से सवाल होते थे उनके
और समाधान देते थे हम
अपनी सहयोगी
मैडम राय के साथ
पंद्रह दिन लगातार मेहनत तो की
लेकिन बहुत नया सीखा भी
उप राज्यपाल ने हाथ मिलाया
मुख्य सचिव और निदेशक सहित
अधिकारियों ने भी सराहा था
ये अनूठा प्रयास
हालांकि कुछ सहयोगी
मुह छिपाकर निकल भी गए
काम के वक्त
तमाम परेशानियों के बावजूद
ये अनुभव भी मुझे बहुत कुछ सिखा गया।
(वर्ष 2014, में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का अनुभव)