भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेले में / सुरेश विमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रंग बिरंगे कपड़े पहने
लोग सजे हैं मेले में
तरह तरह के खेल तमाशे
खूब मजे हैं मेले में।

सर्कस आया हाथी लाया
धूम मचाई मेले में
चाट पकौड़ी वाले ने भी
खूब कमाई मेले में।

चूरन चटनी वाला लेकर
थाल खड़ा है मेले में
कहीं मिठाई कहीं खिलौने
माल बड़ा है मेले में।

लो आया गुब्बारे वाला
रंग जमाता मेले में
आइसक्रीम पेट भर खाओ
जी कर आता मेले में।

कोई गीत सुनाता कोई
चंग बजाता मेले में
कोई झूला झूले, कोई
पान चबाता मेले में।

दूर-दूर के लोग हजारों
घुले मिले हैं मेले में
सबके चेहरे देखो
कैसे खिले-खिले हैं मेले में।