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मेळजोळ / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
थारै
घणाई है
ठाट-बाट
थारै कमी नीं है
किणी बात री
पण
थानै लोग कित्ताक चावै
थारै कन्नै
कुण-कुण आवै
अर थे
किण कन्नै जावौ।