भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेवा घनी बई काबुल में / ठाकुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेवा घनी बई काबुल में, बिंदराबन आनि करील लगाए
राधिका सी सुरबाम बिहाइ कै, कूबरी संग सनेह रचाए।

मेवा तजी दुरजोधन की, बिदुराइन के घर छोकल खाए।
'ठाकुर ठाकुर की का कहौं, सदा ठाकुर बावरे होतहिं आए॥