बात-बात जो खाएँ ताव,
उनका रहता नहीं रुआब।
प्यार-भरा बरताव, जनाब।
अपना रखता नहीं जवाब।
पड़े-पड़े जो देखें ख्वाब,
ऐसे रहें निठल्ले सा’ब!
खाली रहना करे खराब,
मेहनत से हम बने नवाब।
[बाल-भारती, नवंबर 1983]
बात-बात जो खाएँ ताव,
उनका रहता नहीं रुआब।
प्यार-भरा बरताव, जनाब।
अपना रखता नहीं जवाब।
पड़े-पड़े जो देखें ख्वाब,
ऐसे रहें निठल्ले सा’ब!
खाली रहना करे खराब,
मेहनत से हम बने नवाब।
[बाल-भारती, नवंबर 1983]