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मेहमान / ज़िया फतेहाबादी
Kavita Kosh से
दस्तक
वाहमा ये तो नहीं
आ गए हैं वो यक़ीनन अब तो
ढूँढता फिरता रहा हूँ जिन को
आ गए हैं ये वही
ऐ दिल !
खट-खट
खोलता हूँ मैं अभी
बंद दरवाज़ा किया था किस ने
यूँ उन्हें छीन लिया था किस ने
सोच में डूब गया
ऐ दिल !
हर सू
ख़ामोशी छाई हुई
फिर ये दरवाज़े पे आया था कौन
रूह में मेरी समाया था कौन
हो नहीं सकती हवा
ऐ दिल !