मेहरसिंह नै ललकार दई थी / रणवीर सिंह दहिया
मेहरसिंह नै ललकार दई थी, करकै सोच बिचार दई थी।
एक नहीं सौ बार दई थी, जंजीर गुलामी की तोड़ दियो।।
न्यूं बोलो सब कट्ठै होकै भारत माता जिन्दाबाद
गाम बरोना देश हमारा गोरयां नै कर दिया बरबाद
फिरंगी सैं धणे सत्यानासी, करक्े अपणी दूर उदासी
लाइयो मतना वार जरा सी, मुंह तोपां का मोड़ दियो।।
म्हारा होंसला करदे खूंडा उनका जो बढ़िया हथियार
लक्षमी सहगल बीर मर्दानी ठाके खड़ी हुई तलवार
मेहरसिंह नै दी किलकारी, देशप्रेम की ठा चिंगारी
देश की माट्टी फेर पुकारी, कुर्बानी की लगा होड़ दियो।।
नन्दराम पिता नै आर्यसमाज का झण्डा हाथ उठाया था
पत्थर मतना पूजो लोगो यो असमान गुंजाया था
ृ लाया था सारे कै नारा, जुणास लागै हमनै प्यारा
यो सै भारत देश म्हारा, सबके दिलां नै जोड़ दियो।।
रोम रोम मैं छाज्या सबकै मेहर सिंह के बोलां का रंग
आजाद हिन्द फौज चली जब अंग्रेज देख होग्या दंग
रणबीर नै जंग तसबीर बनाई, हरीचन्द नै करी सफाई
नई-नई कर कविताई, छंद लय सुर मैं जोड़ दियो।।