मैंने अपने दिनों को उम्मीदों से सराबोर रखा / नीलोत्पल
मैंने अपने दिनों को उम्मीदों से सराबोर रखा
मेरे मरने के बाद भी
इस दुनिया को सुंदर बनाने की कोशिशं जारी रखना
मैं जो खटता और खपता रहा हँ तुम्हारी ही तरह
मैंने अपने दिनों को उम्मीदों से सराबोर रखा
प्यार के उन दिनों की तरह
सपनों से भरपूर उमंगों में जीते हुए
घर लौटते हुए ज़रूर देख लेना कि
फुटपाथ पर सोये बेघर लोग
कितने संशयों से भरे पड़े हैं
हो सके तो
उठे नहीं उन पर कोई हिकारत भरी नज़र
इसका ध्यान रखना
मज़दूरों के हाथ बड़े सख़्त
और कपड़े कुछ मैले हैं
उनसे हाथ मिलाते या गले लगते हुए
संकोच मत करना
प्यार करते हुए
अपनी आत्मा को गवाह बनाना
और याद रखना
उगती पत्ती तुम्हें
और झरती तुम्हारे प्यार को बना रही है
जब कभी थककर हारने लगो
गुनगुनाना कविता में अपनी बेचैनी
हो सकता है दुनिया तुम्हारे खि़लाफ़ हो
नापसंद हों उसे तुम्हारे शब्द
लेकिन खुले आकाश के नीचे
तुम्हारी कोशिश भरी हार भी
सबब बन सकती है दूसरों के लिए
कोशिश करना कि अपने होने के बाद भी
बातें कर सके अगली पीढ़ी
अपनी इस पीढ़ी के बारे में
उन्हें लगे नहीं कि
दो वृक्षों के बीच छायाएँ पनपती नहीं