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मैंने मन मुदरी मैं गाड़ौ / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
मैंने मन मुदरी मैं गाड़ौ।
राम नाम ना छाँड़ौ।
तन कंचन की डार दई है,
सुखा खटाई काड़ौ।
नैम को बाँध धरम को पलवा,
प्रेंम तराजू जाड़ौ।
तिसना तौल धरी जा ईसुर
रंग रसना से माड़ौ॥