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मैंने रास्ते में सारे दिन खो दिए / हब्बा ख़ातून / शाहिद अंसारी

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मेरे दोस्त, ये जवानी बेकार है,
मैंने रास्ते में सारे दिन खो दिए ।

हम क्यों पैदा हुए थे ?
हम क्यों नहीं मरे ?
ये इतने सुन्दर नाम क्यों ?
हमें फ़ैसले का दिन का इन्तज़ार करना चाहिए ।
और मैंने रास्ते में सारे दिन खो दिए ।

दुनिया की रीत एक बेमानी आँधी है
मैंने एक मुश्किल तक़दीर पाई
और मैंने रास्ते में सारे दिन खो दिए ।

बहुत-सी बुलबुलें चमन में आईं
और उन्होंने अपने खेल खेले,
फूलों ने बाग़ छोड़ दिए
ताकि बुलबुलों को जगह मिले
और मैंने रास्ते में सारे दिन खो दिए ।

मेहरबानी करके मुझे उस दिन से बचाना
जिस दिन दोज़ख़ की आग जलेगी
हब्बा ख़ातून तुम्हें बुलाएगी
और मैंने रास्ते में सारे दिन खो दिए ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : शाहिद अंसारी