Last modified on 23 फ़रवरी 2013, at 14:51

मैं अपने आप से डरने लगा था / मोहम्मद अलवी

मैं अपने आप से डरने लगा था
गली का शोर घर में आ गया था.

परेशाँ था खुला दरवाज़ा घर का
कोई खिड़की पे दस्तक दे रहा था.

उसे मैं शहर भर में ढूँड आया
मेरे कमरे में वो बैठा हुआ था.

वहाँ के लोग भी कितने अजब थे
अजब लोगों में घिर के रह गया था.

बहुत ख़ुश हो रहा था मुझ से मिल के
न जाने आज उस के दिल में क्या था.

उसे मैं ने भी कल देखा था 'अल्वी'
नए कपड़े पहन के जा रहा था.