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मैं अपने हाल से खुद बेख़बर हूँ / सीमाब अकबराबादी
Kavita Kosh से
मैं अपने हाल से खु़द बेख़बर हूँ।
तुम्हारी कमनिगही का गिला क्या॥
दुआ दिल से जो निकले कारगर हो।
यहाँ दिल ही नहीं दिल से दुआ क्या॥