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मैं अपने ही ख़तरे में हूं / नीलोत्पल

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मैं नेतृत्व की बात नहीं करता।

मैंने शुरूआत से देखा कि
कुछ लोग बड़ी आसानी से
हजारों की भीड़ को सम्बोधित करते हैं
और उन्हें कुछ करने की प्रेरणा कह लो,
दिशा या अन्य तरह की सलाह देते है
मैं समझ नहीं पाता
ऐसा कैसे संभव है
कि लोगों को एक चाबी वाले खिलौने की तरह
चलने को अपनी तरह से घुमाएं
जबकि मैं सुन पाता हूं

जब मैं इसे अपनी कमज़ोरी कहता हूं तो,
मुझे देने होते हैं जवाब ख़ुद को
मैं घिरता हूं
सोचता हूं कोई बात तो ऐसी हो जो
मुझे बनाए रखे किसी तरह अपनी स्थिति में

मैं नहीं घिरने की बात कहता हूं
मैं अपने गीतों के बारे में सोचता हूं
इस तरह मैं होता हूं अपने ही ख़तरे में

मैं अपने ही ख़तरे में हूं
एक तरह से सब कुछ अवास्तविक
और असम्बद्ध चीज़ों से घिरा हुआ

मेरे लौटने की कोई शर्त नहीं
मैं क्षरण की ओर जाता हूं
यहां कोई नहीं है
न सुना जाता, न कहा जाता,
न दबाव, न वादे,
न छिछली मानसिकताएं
न शिक्षा, न जनतंत्र को लुभाते ग़ैरज़रूरी शब्द

यहां होने की कोई सीमा नहीं है
अपने ढहे हुए रचाव में हाथ उठाने हैं
अपने ढहने का भार ख़ुद लेना है

मैं नेतृत्व की बात नहीं करता
अपने आने की तरह आना चाहता हूं

मरते वक़्त इन्हीं क़दमों से
लौटना चाहता हूं अपनी क़ब्र पर
और इतना ही कि उस पर पैर रखकर
चलने का अहसास बना रहे

मैं आवाजें नहीं धड़कनें सुनना चाहता हूं