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मैं इसलिए लिख रहा हूं / अच्युतानंद मिश्र
Kavita Kosh से
मैं इसलिए लिख रहा हूं
मैं इसलिए लिख रहा हूं
कि मेरे हाथ काट दिए जाएं
मैं इसलिए लिख रहा हूं
कि मेरे हाथ
तुम्हारे हाथों से मिलकर
उन हाथों को रोकें
जो इन्हें काटना चाहते हैं.