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मैं इसे कैसे कह दूँ है प्यारी गजल / अमरेन्द्र

मैं इसे कैसे कह दूँ है प्यारी गजल
साफ दिखती है जो अधकपारी गजल

सबके चेहरे उड़े तो उड़े रह गये
मैंने ऐसी कही इक करारी गजल

आज कल भेड़ियों में यही चर्चा है
हो गई है बहुत ही शिकारी गजल

दस की बातें यहाँ दस के आँसू यहाँ
मेरी गजलंे सभी दसदुआरी गजल

कौन शामिल नहीं था मेरे कत्ल में
जाके किससे करे मारामारी गजल

उनको जा कर सँवरना पड़ा है तभी
मैंने जब-जब भी है ये सँवारी गजल

जितनी भी दाद दूँ वह बहुत ही है कम
खूब अमरेन्द्र है ये तुम्हारी गजल।