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मैं एक भगोड़ा हूँ / फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ / अशोक पाण्डे
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मैं एक भगोड़ा हूँ
जब मैं पैदा हुआ
उन्होंने मुझे बन्द कर दिया
मेरे भीतर
उफ़, पर मैं भाग गया।
अगर लोग
उस पुरानी जगह पर रहने से ऊब जाते हैं
तो उसी पुरानी त्वचा के भीतर रहने से
क्यों नहीं ऊबते?
मेरी आत्मा
मेरी तलाश में निकली हुई है
पर मैं झुका रहता हूँ
क्या वह मुझे कभी खोज पाएगी?
कभी नहीं,
मैं आशा करता हूँ।
ख़ुद सिर्फ़
मैं हो जाने का मतलब हुआ
पछाड़ दिया जाना
और निहायत कोई हो जाना,
मैं रहूँगा भागता हुआ
जीवित और सच में जिऊँगा।
(1931)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे