मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी / बुल्ले शाह
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।
ऐस कसुम्भे दे कंडे भलेरे,
अड़ अड़ चुनड़ी पाड़ी।
ऐस कसुम्भे दा हाकम करड़ा,
जालम ए पटवारी।
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।
ऐस कसुम्भे दे चार मुकद्दम,
मुआमला मँगदे भरी।
होरन चुगेआ फूहेआ फूहेआ<ref>थोड़ा थोड़ा</ref>,
मैं भर लई पटारी।
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।
चुग चुग के मैं ढेरी कीते,
लत्थे आण बपारी।
औक्खी घाटी मुसकल पैंडा,
सिर पर गठड़ी भारी।
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।
अमलाँ<ref>असली जीवन</ref> वालिआँ सभ लँघ गइआँ,
रैह गई औगुणहारी।
सारी उमरा खेड गवाई,
ओड़क बाज़ी हारी।
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।
अलस्त<ref>इस्लाम के अनुसार मनुष्य की सृष्टि के बाद अल्लाह ने उससे पूछा कि उसका रब्ब कौन है, तब मनुष्य ने कहा कि तू ही मेरा रब्ब है इसी को अलस्त का वादा कहते हैं।</ref> केहा जद अक्खिआँ लाइआँ,
हुण क्यों यार विसारी।
इक्को घर विच्च वसदिआँ रस्देआँ,
हुण क्यों रही न्यारी।
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।
मैं कमीनी कुचज्जी कोहजी,
बेगुण कौण विचारी।
बुल्ले सहु दे लायक नाहीं,
शाह इनायत तारी।
मैं कसुम्भड़ा चुण चुण हारी।