मैं कहता रहा / प्रमोद कौंसवाल
मैं कहता रहा
पुराने शहर का सबसे बड़ा गांव
मालीदेवल पानी में चला जाएगा
अपने पोस्ट ऑफ़िस और चिठ्ठियों समेत
किस नाम-गाम पर लिखूं अब चिठ्ठी पर पता
पूछूं हाल कहां से जाती होगी और कैसे
तैरती हुई चिठ्ठी डूबी झील के
डाकखाने से बहती हुई
मैं कहता रहा अब मेरा चिठ्ठी लिखना बंद हो जाएगा
अपने पुरखों की ज़मीं को
देखने गए भी तो न ऐन वक़्त पर
यहीं पर उत्तरायणी है भागीरथी-गंगा
समंदर तक वह सारे देश में
दो ही जगहों में है उत्तरायणी
यहीं से दिखता था मेरा घर
और मेरा घर देखता था उत्तरायणी को
बहुत साफ़
उत्तरायणी में खड़े होकर
ज़रा सा गर्दन उठाई नहीं कि दिख पड़ा
मालीदेवल से मरोड़ा
कब देखा आख़िरी बार याद नहीं
लेकिन याद है
सोचता हूं इस गांव में मामू भगवती कब तक आते रहे
मरोड़ा छांछ लेकर
कहां है वे आजकल
ताईजी के मनीआर्डर
अब कहां और किस रास्ते से आते होंगे