मैं कहाँ से / दीनानाथ सुमित्र
मैं कहाँ से खोजकर मुस्कान लाऊँ
फूल-कलियों से भरा मैदान लाऊँ
तरसता है मन, बरसते नैन मेरे
छट नहीं पाये, घने फैले अँधेरे
पत्थरों के वास्ते क्यों प्राण लाऊँ
मैं कहाँ से खोजकर मुस्कान लाऊँ
फूल-कलियों से भरा मैदान लाऊँ
चाँदनी का मुँह चिढ़ाया जा रहा है
कटे हाथों को दिखाया जा रहा है
किसकी खातिर रेशमी मैं थान लाऊँ
मैं कहाँ से खोजकर मुस्कान लाऊँ
फूल-कलियों से भरा मैदान लाऊँ
तोड़ कर विश्वास संगी दूर भागा
खंडहर में रो रहा हूँ मैं अभागा
किसे देना कहाँ से अहसान लाऊँ
मैं कहाँ से खोजकर मुस्कान लाऊँ
फूल-कलियों से भरा मैदान लाऊँ
व्यरथ ही जीना पड़ेगा और थोड़ा
चल रहा मेरे हृदय पर बस हथौड़ा
किस जगह है? कहाँ से भगवान लाऊँ
मैं कहाँ से खोजकर मुस्कान लाऊँ
फूल-कलियों से भरा मैदान लाऊँँ