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मैं किसी का भी दुश्मन नहीं हूँ, / कैलाश झा 'किंकर'
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मैं किसी का भी दुश्मन नहीं हूँ,
पर किसी का भी मैं धन नहीं हूँ।
बाँट सकना मुझे है न मुमकिन
मैं किसी घर का आँगन नहीं हूँ।
अपनी मर्जी का हूँ ख़ुद ही मालिक,
मैं गुलामों में राजन नहीं हूँ।
रास्ते में बिछुड़ता नहीं मैं,
छूट जाए वह दामन नहीं हूँ।
प्यास दिल की मिटाए बिना ही
लौट जाए वह सावन नहीं हूँ।
राज़ की बात कहता हूँ "किंकर"
साध्य हूँ सिर्फ़ साधन नहीं हूँ।