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मैं खुश हूँ / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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मैं बहुत खुश हूँ

मेरे मौला; क्योंकि-

मेरे पास धन नहीं;

जिसको रखने के लिए

तिज़ौरी खरीदूँ,

रातों की नींद लुटाकर

पहरा दूँ,

जिसके लुट जाने पर

शोक मनाऊँ

आँसू बहाऊँ ।

मैं बहुत खुश हूँ

मेरे मौला; क्योंकि-

मेरे पास वह

अहंकार नहीं है,

जिसे ढोने के लिए

गाड़ी खरीदनी पड़े ।

जिस पर खड़े होकर

यह प्यार भरी दुनिया

बौनी दिखाई दे

और मैं खुद को महान्

समझने की हिमाकत कर सकूँ ।

मैं बहुत खुश हूँ

मेरे मौला; क्योंकि-

मेरे ज़ेहन में सिर्फ़

तेरा अहसास है,

जो मुझसे कहता है-

रहो इस दुनिया में

इस तरह,

जैसे कोई रहता हो दुनिया में

अजनबी की तरह ।