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मैं गांव चली / अलका वर्मा
Kavita Kosh से
लेकर सारे ख्वाब
मैं गाँव चली।
छोड़ सारे बिषाद
मैं अपने गाँव चली।
अमुआ की डाली
कोयल मतवाली
घुमने सारे बाग
मैं अपने गाँव चली।
खेतों की हरियाली
बैलगाड़ी सवारी
खेलने करिया झुमरी
मैं अपने गाँव चली।
दादा कि दुलारी
दादी की खमौनी
लेकर सारे स्वाद
मैं अपने गाँव चली।
धान की कटाई
लाई मुरही बेसाही।
देकर बदले में धान
मैं अपने गाँव चली।
जन्माष्टमी का मेला
कृष्णा झुले झुला
खाने जलेबी मिठाई।
मैं अपने गाँव चली।