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मैं गाऊँ, तुम सो जाओ / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
मैं गाऊँ तुम सो जाओ
सुख सपनों में खो जाओ
माना आज की रात है लम्बी
माना दिन था भारी
पर जग बदला बदलेगी
एक दिन तक़दीर हमारी
उस दिन के ख्वाब सजाओ
कल तुम जब आँखें खोलोगे
जब होगा उजियारा
खुशियों का सन्देशा लेकर
आएगा सवेरा प्यारा
मत आस के दीप बुझाओ,
मैं गाऊँ ...
जी करता है जीते जी
मैं यूँ ही गाता जाऊं
गर्दिश में थके हाथों का
माथा सहलाता जाऊं
फिर इक दिन तुम दोहराओ,
सुख सपनों ...