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मैं चली, मैं चली पीछे-पीछे जहां / हसरत जयपुरी

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मैं चली, मैं चली पीछे-पीछे जहां
ये न पूछो किधर, ये न पूछो कहाँ
सजदे में हुस्न के, झुक गया आसमाँ
लो शुरू हो गई, प्यार की दास्ताँ

जाओ जहाँ कहीं आँखों से दूर
दिल से न जाओगे मेरे हुज़ूर
जादू खिज़ाओं का छाया सुरूर
ऐसे में बहके तो किसका क़ुसूर
सजदे में हुस्न के...

बहके क़दम चाहे, बहके नज़र
जाएँगे दिल ले के जाएँ जिधर
प्यार की राहों में प्यारा सफ़र
हम खो भी जाएँ तो क्या है फ़िक़र
मैं चली, मैं चली...