मैं चुप हो गया / राजकुमार कुंभज
एक दिन मुझे हिटलर मिल गया
मेरे शहर के महात्मा गांधी मार्ग पर टहलता हुआ
बेचारा धूप में पसीना-पसीना हो रहा था
धूप जो गांधी
गांधी ने मुड़कर देखा और कहा हिटलर से
आ बैठ पास मेरे, मेरी छाँव में
और अपनी मूँछें कटवा ले फटाफट
बड़ा शरीफ़ लगेगा
हिटलर ने कहा गांधी से
तू मेरी बन्दूक पकड़ ले, हम दुनिया जीत लेंगे
गांधी ने कहा तू मेरा चरखा चला ले
इसमें बड़ा दम है
हम दुनिया से बन्दूक मिटा देंगे
और सच कहूँ तो ये बीते ज़माने की बात नहीं है
कल जब मैं गोलगप्पे खा रहा था
महात्मा गांधी मार्ग के गुरूद्वारे के समीप
तो उधर की गली से निकली एक गोली ने
अकस्मात ही साफ़ कर दीं मूँछें हिटलर की
गांधी ने फिर कहा हिटलर से
यार सुधर जा
संसार बचाने के लिए ज़रूरी नहीं है संहार
फिर बीच में तुकाराम आ गए
मैं चुप हो गया