मैं चूहड़ैटड़िआँ<ref>जमादारनी</ref> वे सच्चे साहेब दी सरकारों।
ध्यान दा छज्ज ज्ञान का हाडू,
बुरे अमल नित्त झाड़ो रहाउ।
हाकम काज़ी मुफ्ती जाने,
सात्थों धारखती<ref>फारग-खती</ref> वगाचों।
तउ बाज्झू मेरा होर ना कोई,
कै पै जाए पुकारों।
रातीं देहो एहो मँगदी,
दूर ना कीचै दरबारों।
बुल्ला सहु इनायत करके,
हुण खबर मिले दीदारों।
शब्दार्थ
<references/>