Last modified on 25 जून 2019, at 16:56

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए / साहिर लुधियानवी

मैं ज़िन्दा हूँ ये मुश्तहर कीजिए
मिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए
  
ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है
बसर हो सके तो बसर कीजिए

सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल
ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए

वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर
वही जुर्म बार-ए-दिगर कीजिए

क़फ़स तोड़ना बाद की बात है
अभी ख़्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए