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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 10 / नवीन सागर

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आता दिखता है वह
आता नहीं है

मैं उसका आना पहचानता हूं
उसे नहीं
वह कोई नहीं है
इस धरती पर और इस आकाश में वह
कुछ नहीं है
उसके आने के दृश्‍य में
नहीं है कोई दृश्‍य

मैं हूं इसलिए
मैं देखता हूं
दूर उसका आना
वह आता नहीं है.