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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 24 / नवीन सागर
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खुश हूं आज
सबने मुझे माफ किया
और बुलाया
जो भूल गए थे
वे याद करते हुए याद आए
जो पास थे
वे पास आए!
आज खूब हवा चली
जगह-जगह पेड़
हिल रहे थे
घास हिल रही थी
जिस पर एक बच्चा चल रहा था
पंछी उड़ रहा था आकाश में.
आज खुश हूं
ये मकानात ये मुहल्ले
इनमें फिरता
कहीं का कहीं!
ये धूल ये सड़कें
क्या से क्या
यहीं की यहीं!