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मैं तुममें / शर्मिष्ठा पाण्डेय
Kavita Kosh से
मैं तुममें ढूंढती रही मेरा सर्वस्व
तुम ढूंढते रहे मुझमें अपने विकल्प
सारे नतीजे गौण हो गए
आओ , लौट चलें
अपनी-अपनी प्राथमिकताओं
की ओर