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मैं तुम्हारे साथ रहूंगी हमेशा / रंजीत वर्मा

सबसे बुरे दिनों में
मुझे तुम्हारा साथ मिला
जब मेरे पास जीने का कोई
मकसद नहीं बचा था
और फाकाकशी
मुझे संभलने का मौका नहीं दे रही थी

ऐसे अंधेरे वक्त में
जब पांव डगमगा जाते हैं अक्सर
मुझे तुम्हारा साथ मिला

तुम दूर से आती दिखती थी
और पत्थर पर बैठा मैं
तुम्हें उठते हुए चांद की तरह देखता था
रोटी की लड़ाई लड़ता हुआ मैं इस तरह
चांद के करीब चला जाता था

चांद ठहरता नहीं हमेशा पूरी रात
तुम भी चली गई एक दिन
एक ऐसे ही अंधेरे वक्त में
ज्ब पांव डगमगा जाते हैं अक्सर

मेरी आंखों में गहरे कहीं
तुम अमिट प्यास की तरह बस र्गए

मेरी धमनियों में दौड़ते रक्त से
तुम्हारे नाम का संगीत उठता रहा
और वर्षों भटकता रहा मैं
अनजान रास्तों पर

और लौटता रहा बार बार
समझने की कोशिश में

कि आखिर किसने कहा था

मैं तुम्हारे साथ रहूंगी हमेशा।