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मैं तेरा दीवाना हूँ ..... / हरकीरत हकीर

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(1)

तोहफ़ा

रात आसमां कुछ सितारे

झोली में भर कर ले आया

मैंने कहा ......

मेरा सितारा तो मेरे पास है

वह बोला ......

पर वो तुझे रौशनी नहीं देता

ये तुझे रौशनी भी देंगे ,

और रास्ता भी ....

मैंने पूछा कौन हैं ये ....?

तेरी नज्मों के दीवाने

वो मुस्कुराया ......!!

(२)

साथी

कुछ लफ्ज़ कमरे में

इधर-उधर बिखरे पड़े थे

मैंने छूकर देखा ....

सभी दम तोड़ चुके थे

सिर्फ़ एक लफ्ज़ जिंदा था

मैंने उसे पलट कर देखा

वह ' दर्द ' था .....

मैंने उसे उठाया

और सीने से लगा लिया .....!!

(३)

दर्द का शिकवा

वह इक कोने में बैठा

सिसक रहा था ....

मैंने पूछा .....

' क्यों रो रहे हो साथी ....? '

वह बोला ......

वे तुम्हें मुझसे

छीन लेना चाहते हैं .....!!

(४)

दीवाना

वह झुक कर

धीमें से बोला .....

मैं तेरा दीवाना हूँ ' हक़ीर '

और मेरे लबों को चूम लिया

मैंने पलकें खोलीं तो देखा

वह दर्द था .......!!!