भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना।
मेरी सास बुलाई ना मेरो नार छुआओ ना।
मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना।
तेरी सास बुला दूंगा तेरी नार छुआ दूंगा।
मैं तो हरदम ताबेदार गोरी हर दम ताबेदार।
मेरी जेठाणी बुलाई ना मेरो पलंग निवायो ना।
मैं तो रूस रहूंगी बालम हरगिज बोलूं ना।
तेरी जेठाणी बुला दूंगा तेरो पलंग निवा दूंगा।
मैं तो हर दम ताबेदार गोरी हर दम ताबेदार।