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मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूँगा सदा / नक़्श लायलपुरी

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मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूँगा सदा,
मेरी आवाज़ को, दर्द के साज़ को,
तू सुने ना सुने !

मुझे देखकर कह रहे हैं सभी
मुहब्बत का हासिल है दीवानगी
प्यार की राह में, फूल भी थे मगर
मैंने काँटे चुने
मैं तो हर मोड़ पर...

जहाँ दिल झुका था वहीं सर झुका
मुझे कोई सजदों से रोकेगा क्या
काश टूटे ना वो, आरज़ू ने मेरी
ख़्वाब हैं जो बुने
मैं तो हर मोड़ पर...

मेरी ज़िन्दगी में वो ही ग़म रहा
तेरा साथ भी तो बहुत कम रहा
दिल ने, साथी मेरे, तेरी चाहत में थे
ख़्वाब क्या क्या बुने
मैं तो हर मोड़ पर...

तेरे गेसुओं का वो साया कहाँ
वो बाहों का तेरी सहारा कहाँ
अब वो आँचल कहाँ, मेरी पलकों से जो
भीगे मोती चुने
मैं तो हर मोड़ पर…