भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं था तन्हा एक तरफ़ / विज्ञान व्रत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं था तन्हा एक तरफ़
और ज़माना एक तरफ़

तू जो मेरा हो जात
मैं हो जाता एक तरफ़

अब तू मेरा हिस्सा बन
मिलना-जुलना एक तरफ़

यूँ मैं एक हक़ीकत हूँ
मेरा सपना एक तरफ़

फिर उससे सौ बार मिला
पहला लमहा एक तरफ़!