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मैं धुएं सी एक दिन आकाश में खो जाऊँगी / उर्मिल सत्यभूषण
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मैं धुएं सी एक दिन आकाश में खो जाऊँगी
जब पुकारोगे मुझे मैं गीत बन के आऊँगी
मैं जहाँ में शब्द फूलों को रहूँगी बांटती
और खुशबू की तरह हर दिल को मैं महकाऊँगी
जगमगाऊँगी अंधेरे में मैं बन के रोशनी
आस्था का दीप बन हर द्वार पर जल जाऊँगी
देखना जब दर्द की लय में पुकारोगे मुझे
मैं पवन बनकर तुम्हारे संग गाने आऊँगी
बांध पाओगे नहीं उर्मिल को, वो फैलाव है
नीलघन की नीलिमा में नील सी घुल जाऊँगी।