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मैं नहीं चाहता / केदारनाथ अग्रवाल

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मैं
नहीं चाहता
तुम रहो तुम
मैं रहूँ मैं
और
बीच में हमारे
बादल कड़के
बिजली चमके
और तुम
मुझे देखो
बुढ़ाते
और मैं तुम्हें देखूँ
बुढ़ाते

रचनाकाल: १२-०६-१९७७