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मैं पाया है मैं पाया है / बुल्ले शाह
Kavita Kosh से
मैंने पाया है, हाँ तुम्हें पाया है,
तुमने अपना रूप बदल लिया है।
कहीं तो तुम तुर्क़ बनकर ग्रन्थ पढ़ते हो और कहीं हिन्दू बनकर भक्ति में डूबे हो
कहीं लम्बे घूँघट में स्वयं को छुपाए रहते हो।
तुम घर-घर जाकर लाड़ लड़ाते हो।
मूल पंजाबी पाठ
मैं पाया है मैं पाया है,
तैं आप सरूप बताया है,
कहूं तुर्क किताबाँ पढ़ते हो,
कहूं घोर घूँघट में पड़ते हो,
हर घर-घर लाड़ लड़ाया है।