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मैं पृथ्वी को / मोहन सगोरिया
Kavita Kosh से
देह एक पृथ्वी है
और रात-दिन घटक
जब दिन्होता है
तब रात नहीं
यह आधे भाग पर ही
सम्भव है एक समय में
मैं पृथ्वी को
देह बनाने की कोशिश में
पहले नींद और जगराते को
रात और दिन बना रहा हूँ।