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मैं पृथ्वी हूँ / नरेश मेहन

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मैं पृथ्वी हूँ
तुम्हारी जननी
इसीलिए तुम
मुझे कहते हो
धरती मां।
मेरा काम
सिर्फ देना है।
तुम एक दाना डालते हो
मैं तुम्हें
हजारों दाने देती हूँ।
तुम
एक पेड़ लगाते हो
मैं तुम्हें
हजारों फल देती हूँ
फिर भी
न जाने
क्या ढूंढते हो
मेरे गर्भ में
और करते हो विस्फोट
टटोलते हो
मेरे अंतस को।
मेरे अंतस में
तुम्हारे लिए
अथाह मुहब्बत के सिवाय
कुछ भी नहीं है।
मेरे पुत्रों।
ठीक नहीं है।
परीक्षा लेना
अपनी मां की।