कल देर तक हवा में यूं, कुछ  बेबसी  रही
मंजि़ल के पास छोड़कर कोई हमसफ़र गया ।
रिश्तों  के माप तौल में  हम इतने खो गए
ता उम्र साथ रह के भी वह इस कदर गया ।
वह इतना जुड़ गया था  मेरे शोके़ जनून से
मुझ में जो खामियां थी उन्हें दूर कर गया ।
जब दिल  पे  भारी हो चली बेकैफ़ जि़ंदगी
गहराइयों  में  उतर कर पुरकैफ़ कर  गया ।
मैं कौन हूं  मुझे तो यह  एहसास भी  नहीं
कोई हमराज़ ही रहा जो यहां छोड़ कर गया
एहसास जब हुआ कि  कोई मेरा ख़ास था
खोजा यहां वहां मगर जाने  किधर गया ।
ऐ चारागर बता तो मुझे क्या हुआ था  जो
तेरे दर पे छोड़  मुझको कोई बेख़बर गया ।
जीने की सारी हसरतें  तो यूं ही  बनी रहीं
मुझ पर तेरा  खय़ाल  भी यूं बेअसर गया ।
दीपक जलाने आया हूं  ख़ुद की मज़ार पर
यह सोचता हूं मैं भी क्यों बेवक़्त मर गया
तुम कहते हो जिसको खुदा, था कब मेरे क़रीब
चुपके से आके फिर न कभी छोड़ कर गया