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मैं भूल नहीं सकता तुझको / विनीत पाण्डेय

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मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे
फाँस के अपने ज़ाल में पूरा कर गयी तू बर्बाद मुझे
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे

दसवीं की इम्तिहान में तूने फूल फेंक कर मारा था
देखा तेरी ओर उसी पल अपना दिल ये हारा था
तुरत बाद में तूने अपने बाईं आँख भी मारी थी
तहस-नहस हो गयी पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा ओर पेपर पूरा छूट गया
फिर चारो ओर से मिल कर सबने मेरी बहुत खिंचाई की
टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे

जैसे तैसे दसवीं कर मैं ग्यारहवीं की ओर चला
फिर दो साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला
पढ़ता था विज्ञान किन्तु मैं रूप में तेरे भटक गया
वही हुआ परिणाम की मैं इस बार भी फ़िर से लटक गया
इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकना चूर हुआ
तेरे कारण ही बीए करने को मैं मजबूर हुआ
जब तक तेरे साथ रहा हाँ पग-पग पर मैं छला गया
कहाँ छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया
बीए कर के एमए कर के पीएचडी अब करता हूँ
जहाँ वेकेंसी मिलती है टीचर की फॉरम भरता हूँ
सहनी पड़ती है सबसे अब तानो की बरसात मुझे
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे

मेरे जीवन की पूरी ही दिशा को तूने मोड़ दिया
अच्छा सबक सिखा कर तूने मुझको यूँ ही छोड़ दिया
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूँ
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फांके सहता हूँ
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी-सा अब दिखता हूँ
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूँ
मैं तुझको ह्रदय दिया ओर तूने हृदयाघात मुझे
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे।