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मैं मरज्यां तै सौक दूसरी मतना ब्याह कै ल्याइये / मेहर सिंह

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हाथ जोड़ कै कहूं पिया जी मेरा कहण पुगाइये
मैं मरज्यां तै सौक दूसरी मतना ब्याह कै ल्याइये।टेक

मौसी कारण धु्रव भगत भी बियावान म्हं आया
बोली मारी थी मौसी नै सुणकै जलगी काया
फिरया भ्रमता जंगल केम्हां भूखा और तिसाया
नारद मुनि मिले रस्ते म्हं उसनै भेद बताया
धु्रव भगत की तरियां मत बेटे नै तंग करवाइये।

उस राजा दशरथ की मत मारी करकै सत्यानाश गया
राजतिलक की जगह दसौंटा लिख्या पूत को खास गया
दो वचन भरा लिए केकैई नैं वो सारा विश्वास गया
फेर मौसी कारण रामचन्द्र भी चौदह बनवास गया
मौसी काली नागिन हो सै ना तूं डंसवाइये।

पूर्णमल मौसी के धोरै करण नमस्ते आया
नीत डिगी थी उस पापण की दोष कंवर पै लाया
हाथ पैर कत्ल करवाकै कुएं मैं गिरवाया
बारां साल सड़्या कुए म्हं तंग होगी थी काया
पूर्णमल की तरहां लाल नैं मतना तूं मरवाइये।

भौरे म्हं गिरवा राख्या सै लाड लडाया कोन्या
मुंह भी देखण ना पाई मनैं गोद खिलाया कोन्या
छटी मनी ना दोघड़ पूजी हवन कराया कोन्या
आज तलक मनैं बेटे का मुंह दिखलाया कोन्या
कहै मेहर सिंह मेरी प्रेम निशानी नै तूं छाती कै लाइये।