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मैं वह नहीं बजा घंटा हूँ / केदारनाथ अग्रवाल

देवालय के उस पाषाणी वृषभ-कंठ से
काल बँधा है बधिर अचंचल घंटे जैसा
मैं वह नहीं बजा घंटा हूँ।

रचनाकाल: १६-०७-१९६१