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मैं शब्दों के माध्यम से / गुलाब खंडेलवाल
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मैं शब्दों के माध्यम से
उस पार पहुँच गया हूँ,
क्या हुआ जो मैं अब पहले की तरह
लहरों पर नहीं झूम सकता!
अपनी परछाइयों को नहीं चूम सकता!
मैंने तो अपनी नौका भी
तीर पर ही छोड़ दी है,
मैं अब इसे
पीठ पर लिए-लिए नहीं घूम सकता